Sunday, 6 April 2008

हुस्न और इश्क

हुस्न में और इश्क़ में क्या राब्ता है देखिये
हुस्न कंघी करता है और इश्क़ मारता है जूँ

6 comments:

PD said...

:)

Unknown said...

वाह, वाह , इसी पे पेश है
क्या हुस्न के नखरे, क्या इश्क के हथकंडे
याद रखें मालिक, मेडिकर सन्डे के सन्डे

Shiv said...

वाह !

मीत साहब, दाद तो हुश्न को मिलनी चाहिए;

गर करे न हुश्न कंघी, कैसे जूं का पता चले;
इश्क जूं को फिर न मारे; जूं बस जुल्फों में पले

राज भाटिय़ा said...

अरे भाई इश्क जूं कधीं वाली मारता हे या अपने सिर से निकाल निकाल कर मारता हे,अगर अपने सिर की जूं मारता हे तो सच्चा इश्क हे :)

दीपक said...

इश्क मे जू भी क्या रोल अदा करे !!
मरा इश्क के हाथ खुदा जन्नत अता करे "

मुनीश ( munish ) said...

AT the end of the day it all adds up to a healthy living n loving relationship so its great man , its superb ! sarkari DIRECTORATE OF AUDIO VISUAL PUBLICITY--DAVP ko pata lage to vo is concept pe vigyapan banva le.