Thursday, 24 April 2008

गड़बड़ रामायण की चंद चौपाइयां

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राम गए लंका की ओरा। रावण धरे भूसा का बोरा।
फटिक सिला बैठे दोउ भाई। कोदवा दरें जानकी माई।
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। फट गा कुर्ता सियें बिधाता।
कह हनुमान सुनहु दसकंधर। गदा मार करिहौं बोरीबन्दर।

-- बैलस्वामी विजयदास।
(गोस्वामी फैनक्लब से करबद्ध क्षमायाचना सहित) ।

3 comments:

राज भाटिय़ा said...

रावण धरे भूसा का बोरा। अरे मेने तो सुना सारा भूसा लालू खा गया, तो कया रावण ल..... ही ...

इरफ़ान said...

हाँ,

एक पुराना दोहा याद आया-

राम-राम हर कोई कहे, दसरथ कहे न कोय

गर दसरथ कसरत न करत तो राम कहाँ से होय!

विजयशंकर चतुर्वेदी said...

usee mittee ke hain na, iseeliye tulsidas se takkar le rahe hain. lekin hamane punarjanm le liyaa hai. saavadhaan!!!!-- aatmaa!!!!!!!!! aatmaaraam?