बहुत होशियार समझते हो आपने आपको- ..................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................
हो गयी मेकअप के कारण असली की पहचान,
ऊपर से तो ताजमहल, अन्दर से क़ब्रिस्तान.
Monday, 21 April 2008
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5 comments:
इरफ़ान भाई,
फार्मूला काम आ गया. क्योंकि शेर तो पहली ही सतर में दिख जाता था. अब करने दो काम शेरज़ादों को. ज़्यादा हुशियारी की न, तो कुतुबुद्दीन एबक से पहले का गुलाम बना दूंगा. हाँ!!
हो-सियारी और वो भी शेरों से? हा हा. अब पता चलेगा.
हा !हा! हा !हा! हा! !!!!!
sach mein bahut majedar sher hai!
mazaa aa gaya......
वाह क्या शेर मारा है "
शेरनी को विधवा कर डाला है !!
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