आजकल मैं साग़र खैय्यामी साहब के खुमार में डूबा हूँ. जब होश आता है तो उनका कोई शेर चढ़ा देता हूँ. मुलाहिजा फ़रमाइए-
रफ़्ता-रफ़्ता हर पुलिस वाले को शाइर कर दिया,
ऐसा इक क़ानून भी बनवा दिया सरकार ने.
सुब्ह को इक कैदी फाँसी लगाकर मर गया,
रात भर गज़लें सुनाईं उसको थानेदार ने.
Thursday 13 March 2008
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2 comments:
बहुत खूब...
sorry sarkar anjaane mein apke fauran baad post kar baitha. andaaza na tha. baharhaal......
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