शायर बड़ा भला मानुष होता है. जो कुछ भी लिखता है, उसमें हर एक के लिए कुछ न कुछ अवश्य रहता है. पॉपुलर मेरठी साहब को ही देखिये. उन्होंने जनता को कितनी बढ़िया सलाह दी है. लिखते हैं;
अजब नहीं है जो तुक्का भी तीर हो जाए
फटे जो दूध तो फिर वो पनीर हो जाए
मवालियों को न देखा करो हिकारत से
न जाने कौन सा गुंडा वजीर हो जाए
नेता जी के लिए भी सलाह देते हैं. लिखते हैं;
लफंगों, लुच्चों का हाथों में हाथ लेके चलो
बने हो दूल्हा तो पूरी बरात लेके चलो
शरीफ लोग इलेक्शन नहीं जिता सकते
जो जीतना हो तो गुंडों को साथ लेकर चलो
कहीं आप ये तो नहीं सोच रहे कि शायर दो विपरीत ध्रुवों पर बैठे इन लोगों को साथ में आने के लिए प्रोत्साहित करता है. ना ना, ऐसा सोचना भी पाप है......:-)
Saturday, 15 March 2008
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