Wednesday 19 March 2008

आजकल बीमा वाले इत्‍ता परेशान करते हैं कि मैंने तो ये लाइनें एक काग़ज़ पर लिख कर टांग दी हैं आपने ऑफिस में

फलां कम्‍पनी ढिकां कम्‍पनी रोज एक नया बंदा बैग लटकाए दरवाजे पर खड़ा मिलता है और कहता है आपका बस आधा घंटा चाहिये कुछ समझाना है सो मैंने कहीं सुनी ये पंक्तियां लिख कर बाहर टांग दी हैं आप भी ऐसा कर सकते हैं मुझे तो ये करने से मुक्ति मिल गई है ।

बीमा ना   करवाइये  जा से कछु ना होय

पैसा पत्‍नी को मिले मरण आपका होय

4 comments:

Abhishek Ojha said...

वाह !

इष्ट देव सांकृत्यायन said...

पत्नी ने जूते मार कर आपको घर से बाहर नहीं निकाला?

मुनीश ( munish ) said...

aji keema bana daaliye in kambakhaton ka , maine aaj tak na karaya beema feema!

रवि रतलामी said...

तो, पत्नी का बीमा करईदो!