Sunday, 2 March 2008

अभी मन ना है

हमारी भाषा अलग थी और शब्द जुदा लेकिन बात हम एक ही कर रहे थे, आप जिन्हें सस्ता शेर कह रहे थे उन्हें हमने जेनेरिक शेर नाम दिया हुआ था। एक शेर दूसरे शेर से कब तक जुदा रहता जिस दिन हमें वो दूसरा शेर नजर आया हमने हाथ मिलाने का निमंत्रण कुछ यूँ माँगा -

हमें भी इस सस्ती महफिल का सितारा बनना है
7 से ज्यादा शेर भेजते, लेकिन अभी मन ना है।


अब हम खुद तो हाथ भी नही लगाते लेकिन पिये और पीने वालों पर लिखने से परहेज बिल्कुल नही करते, ये बानगी देखिये -

नशे को कर बुलंद इतना कि हर पैग से पहले,
शराबी शराब से ये पूछे, बता तूझमें इतना मजा क्यों है।

अब देश में महिलाओं को कितनी आजादी है ये तो पता नही लेकिन टीवी सीरियलों में देखें तो बस वो ही वो हैं,

पति के बोलने के हम नही कायल,
जब सास-ससूर को नही बख्शा तो ये बहू क्या है।

और अपना लिटिल ड्रैगन अपने से भी दो हाथ आगे है, देखिये कैसे नयी चीज मांगता है -

नये कपड़े लेने का, मेरे बेटे ने, निराला ढंग निकाला है।
अपनी मम्मी से पूछता है, उसका पैजामा किसने फाड़ डाला है।

आज के लिये बस इतना ही।