चाचा गालिब से माफी मांगना जरूरी हो तो ये काम मेरी और से इरफान भी कर लें. हम चूंकि पेटेंट का कानून आने के पहले से उनकी बौद्धिक सम्पदा के नकली वारिस हैं, लिहाजा नक़ल करना और वो भी अक्ल से हमारा मौलिक हक़ है. हम यही मान कर यह कर रहे हैं. आगे जिसे जो करना हो कर ले :
गिरिया निकाले है तेरी बोतल से किसको
हाय! कि पीने पे इख्तियार नहीं है
हमको बहुत है बोतल न हो तो अद्धा-ऐ-क्वाटर
अफसोस कि साथ देने को कोई तैयार नहीं है.
2 comments:
साथ लेने के बहाने साथ देने को कहें
सादगी ये देख उनकी कौन न मिट जायेगा
आज बैठें लेके बोतल गर हमारे 'इष्ट देव'
साथ तो देगा वही जो साथ में टिक पायेगा
साथ टिकने के लिए
हाथ नहीं चाहिए
गियर टॉप चाहिए
पहले गियर में तो
फ्लाप ही जाएगा
जो डगमगाया
वही गियर टॉप
नजर आएगा.
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