Wednesday, 30 April 2008
जिनके पास कुछ भी नहीं,उनसे दुनियाँ जलती है
उसपे दुनियाँ हँसती है,
जिसके पास सब कुछ है
उससे दुनियाँ जलती है,
आपके पास हमारी दोस्ती है,
जिसे पाने के लिये पूरी दुनियाँ तरसती है !!
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दिल तो अरमानों से हाउसफ़ुल है !
पूरे होंगे या नहीं, ये डाउटफ़ुल है !!
यूं तो दुनिया में हर चीज़ वन्डरफ़ुल है !
पर ज़िन्दगी, आप जैसे दोस्तों से ही ब्यूटीफ़ुल है !!
थियोरी ऑफ रिलेटिविटी का दूसरा शेर
Tuesday, 29 April 2008
थियोरी ऑफ रिलेटिविटी का शेर
Monday, 28 April 2008
हमे तो अपनो ने लूटा
अपनी टाँग वही टूटी ,जहा अस्पताल बंद था "
जिस एँबुलेंस मे डाला उसका पेट्रोल कम था "
रिक्शे से घर गये क्योकि उसका किराया कम था
Sunday, 27 April 2008
भाइयो और बहनो, दम है तो रिक्त स्थान की पूर्ति करें
पेल-ए-खिदमत है यह ऐतिहासिक शेर जो हमें हमारे गुरूजी सुनाया करते थे। नाम नहीं खोलूंगा क्योंकि अब वह वफ़ात पा चुके हैं। वैसे यह बताने में कोई गुरेज नहीं है कि वह महाराष्ट्र सरकार में वसंतदादा पाटिल से लेकर वसंतदादा के चेले शरद पवार के मंत्रिमंडल में मंत्री रह चुके हैं. हिंट केवल इतनी मिलेगी कि वह हिन्दीभाषी थे.
अब शेर वही रिक्तस्थानों की पूर्ति वाला:-
इश्क़ वो खेल नहीं है मियाँ कि लौंडे खेलें,
.... .....फट जाती है सदमात के सहते-सहते।
Saturday, 26 April 2008
Friday, 25 April 2008
सरदी लग गई नहाने से
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सर्दी लग रही थी और बदबू का झोंका आया था
पता चला कि आपने गंदे पोखर में नहाया था
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छींकते छींकते नाक में दम था
पर नहा तो लिया ये क्या कम था
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सर्दी लग गयी है नहाने से
क्या कहें हम इस जमाने से
दाद सुनके हम को जोश आ गया
अब तो बाज आओ हमको आजमाने से
"कर्कश कुमांऊनी"
गरमी के लिये खास
कितने स्मार्ट हो मेरे हमदम , खुद को दुनिया की नजरों से बचाया करो.
आंखों में चश्मा लगाना ही काफी नहीं, गले में नींबू मिर्ची भी लटकाया करो.
अगला बंद जो शायर के दर्द को बयां कर रहा है.
हक़ीकत समझो या अफसाना,
अपना समझो या बेग़ाना ,
मेरा तुम्हारा रिश्ता पुराना,
इसलिये फ़र्ज था बताना,
गर्मी शुरु हो चुकी है,
प्लीज अब रोज नहाना.
" कर्कश कुमांउनी"
खोये वहीं पर .....
Thursday, 24 April 2008
गड़बड़ रामायण की चंद चौपाइयां
राम गए लंका की ओरा। रावण धरे भूसा का बोरा।
फटिक सिला बैठे दोउ भाई। कोदवा दरें जानकी माई।
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। फट गा कुर्ता सियें बिधाता।
कह हनुमान सुनहु दसकंधर। गदा मार करिहौं बोरीबन्दर।
-- बैलस्वामी विजयदास।
(गोस्वामी फैनक्लब से करबद्ध क्षमायाचना सहित) ।
दोस्ती पर महान सस्ता शेर.....
कल के हिंदुस्तान अख़बार में रवीश का नया स्तंभ और उसमें सस्ता शेर का ज़िक्र!

हिंदी के कोई तीन हज़ार ब्लॉग्स में से "सस्ता शेर" नाम का ये ब्लॉग कल क़ाबिल-ए-ग़ौर पाया गया. शालीन और मंद-मसृढ लोग सदा ही ऐसे आयोजनों को छि:-छि: की नज़र से देखते हैं और हमें उनकी नज़र की कभी परवाह न थी, न है और न आगे रहेगी. पीठ थपथपाए जाने पर भी हम पीठ की जाँच करना नहीं भूलते कि वो अब भी बरक़रार है या नहीं!
ढूँढ उजडे हुए लोगों में वफ़ा के मोती
ये ख़ज़ाने तुझे मुमकिन है ख़राबों में मिलें
बहरहाल आज के हिंदुस्तान अख़बार में रवीश ने ब्लॉगचर्चा के अपने नए स्तंभ की शुरुआत आपके इस ब्लॉग "सस्ता शेर" की चर्चा से की है. कहा जाता है कि जौहरी को सोने की पहचान होती है और इस कथन का अनुवाद है कि रवीश जौहरी हैं और सस्ता शेर सोना. एक तरफ सोना बहुत मंहगा है दूसरी तरफ सोना बहुत महँगा पडता है, अगर आप घोडे बेचे बग़ैर सोए तो! इस तरह सस्ता शेर और सोना कुछ साथ सफ़र न कर सके. इस सफ़र को हिंदुस्तान अख़बारवालों ने और भी मुश्किल बना दिया, URL ग़लत छापकर. यारो को अभी यूआरएल की नज़ाकत का अंदाज़ा नहीं है और प्रिंट की परिपाटी में लाइन टूटने पर डैश लगा दिया करते हैं. कोई पूछे कि उदाहरण के लिये भाई अभय तिवारी के निर्मल आनंद तक बिना डैश के पहुँचा जा सकता है? यानी अख़बार के अनुसार अगर सस्ता शेर तक पहुँचने के लिये डैश का सहारा लें www.ramroti-aaloo.blogspot.com तो थकावट हाथ आएगी.हालाँकि www.sastasher.blogspot.com के सहारे भी सस्ती महफ़िल में पहुँचा जा सकता है. अख़बार की कतरन यहाँ पेश है,साथ में एक छोटा सा भूल सुधार भी कि इस सामूहिक ब्लॉग में अभी 31 सदस्य हैं।
कतरन पर डबल क्लिक करके आप ठीक से पढ सकते हैं. एक इत्तेफ़ाक और है कि यहीं बग़ल में ,सत्तर साल पहले आज के ही दिन इक़बाल अपने नौकर की गोद में मर गये थे, ये ख़बर भी पढी जा सकती है.
अगर कोई मुमताज होती
गा तो हम भी सकते थे गर आवज होती "
कौन कहता है शाहजँहा ने बनवया था ताजमहल "
बनवा तो हम भी सकते थे अगर कोई मुमताज होती "
Tuesday, 22 April 2008
जल्दी में लिपिस्टिक भूल गये...
फ़िल्म जुगनू, 1947
रफ़ी गाते और नाचते दिख रहे हैं.
देखने में कष्ट हो तो यहाँ सुनिये....
अगर कष्ट कम न हुआ हो तो यहाँ सुनिये-
Monday, 21 April 2008
शिनाख्त का मसला
हो गयी मेकअप के कारण असली की पहचान,
ऊपर से तो ताजमहल, अन्दर से क़ब्रिस्तान.
Sunday, 20 April 2008
Saturday, 19 April 2008
Friday, 18 April 2008
Thursday, 17 April 2008
Wednesday, 16 April 2008
कभी मुंह तो ला मेरी नांद में
जनाब बशीर बद्र से एक बार और क्षमायाचना के साथ उनकी पौन बीघा ज़मीन पर एक सस्ता वाला:
कभी मुंह तो ला मेरी नांद में, कि तेरी अकल पे बजर गिरे
मुझे कुछ रकम तो उधार दे, फिर अपना चेहरा तू धो न धो
नवी मुम्बई के तुर्भे नाका पर खड़े एक ट्रक के सौजन्य से-
आ रहा हूँ डाईरेक्ट बंगलौर से.
दोस्ती को प्लस करो !
दुष्मनी को माईनस करो
खुशी को मल्टीप्लाई करो
ग़म को डिवाइड करो
क्या पता कल हो न हो
प्यार को एन्ज्वॉय करो
Monday, 14 April 2008
स्वाद अब खोजते फिरते मटर के दाने में
आज उतनी भी मयस्सर नहीं मयखाने में
जितनी हम छोड़ दिया करते थे पैमाने में
मुई मंहगाई ने कुछ इस तरह से मारा है
जख्म सहलाते हैं देसी शराबखाने में
दिन हैं ऐसे कि भूले हैं चिप्स, पापड़, सलाद
घर में घुसते ही शुरू होता है यूं दंगा-फसाद
स्वाद की बात न कर, बदले हैं ये दिन ऐसे
स्वाद अब खोजते फिरते मटर के दाने में
Sunday, 13 April 2008
Saturday, 12 April 2008
तुम मुझे वोट दो
हूँ खडा खजूर सा ना ज्ञान ,बुद्धी का ना बल ।
भाष ये हुआ मुझे कि मुझमे है अपार बल
हो चाहे कुछ भी पर तुम मुझे वोट दो
वरना आओ आज तुम मेरे गले को घोट दो ""
उसके लिये ! !
चुप रहना भी प्यार की निशानी है!!
कहीं कोई ज़ख्म नहीं,फिर भी, क्यौं दर्द का एहसस है!
लगता है दिल का एक टुकड़ा, आज भी तुम्हारे पास है!
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सूरज पास हो न हो,रोशनी आस-पास रहती है!
चाँद पास हो न हो, चाँदनी आस-पास रहती है!!
वैसे ही,आप आस-पास हों न हों!
आपकी यादें हमेशा साथ रहती है!!
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सुना है असर होता है बातों में!
आप भी भूल जाएंगे दो चार मुलाकातों में!!
लेकिन हम से बचकर कहाँ जाओगे!
आपकी दोस्ती की लकीर है हमारे हाथों में!!
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रुकता भी नहीं,ठीक से चलता भी नहीं
ये दिल है कि तेरे बाद चलता ही नहीं,
इस उम्र के सेहरा से तेरी याद का बादल,
टलता भी नहीं और बरसता भी नहीं
बहारों फूल बरसाओ, मेरा महबूब आया है
किसी मरहूम नेता का मेरे सर पर भी साया है
कोई 'मोटी' असामी सामने आई तो दिल बोला
बहारों फूल बरसाओ, मेरा महबूब आया है
----पॉपुलर मेरठी
Friday, 11 April 2008
लुत्फ़-ओ-मस्ती उनको आया, और तू उल्लू हो गया
लुत्फ़-ओ-मस्ती उनको आया, और तू उल्लू हो गया
- शायर-ए-आज़म अकबर इलाहाबादी
Thursday, 10 April 2008
रिक्त स्थान की पूर्ति करें
पेल-ए-खिदमत है कल्पनाशील नाज़रीन के लिए एक अल्ट्रा रोमांटिक शेर--
हम ढूँढते थे जिनको गुलिस्ताँ के आस-पास,
वो ............... रहे थे, बयाबाँ के आस-पास।
-- (इस शेर का क्रेडिट माइल लखनवी को दिया जाता है.)
Wednesday, 9 April 2008
एक महंगा शेर
चचा गालिब, आप तो जानते हैं बड़े प्यारे शायर है. उन्होंने कुछ शेर तो इतने अच्छे लिखे हैं, की उन पर कई दीवान (सोने और सरकारी डंडा चलाने वाले) कुर्बान किए जा सकते हैं. उनका ऐसा ही एक शेर है, जो ग़लत हाथों में पड़कर ग़लत रूप में लोगों तक पहुँचा. उसका असली रूप उन्होंने हाल में मुझे मेल किया है और इस ताकीद के साथ कि इसका असली मे'आर तुम सस्ता शेर के माध्यम से आम जनता तक पहुँचा देना. यूँ है तो यह बहुत महंगा शेर, पर चूंकि शायर की इच्छा इसे बजरिये सस्ता शेर ही जनता तक ले आने की है, सो मैं अब इसे आपके हवाले कर रहा हूँ. आगे क्या करना है, यह आप जानें:
हमने माना के तुम कम न दोगे, लेकिन
बिन पिए सो जाएँगे हम रम सिपुर्द-ऐ-सागर होने तक
गर्दभ के खुर से है यहाँ सत्ता की तामील
जो भी है, है कुर्सी के घरर-घरर होने तक
हज़ारों साल माली टोटके दिन रात करता है
बहुत मुआफी के साथ इस शेर के साथ काम कर रहा हूं ये मेरा भी नहीं है बल्कि मेरे एक अजीज ने ये किया है दुर्भाग्य से वे कम्प्यूटर नहीं जानते तो उनके तरफ से मैं ही पेल रहा हू
हज़ारों साल माली टोटके दिन रात करता है
बड़ी मुश्किल से होता है चमेली पे भटा पैदा
मयख़ानवी का एक पुराना शेर

मयख़ानवी का एक पुराना शेर पेश-ए-ख़िदमत है-
अर्ज़ किया है...
इख़्तेयार-ए-तबस्सुम की लौ को तरन्नुम में नुमाइश से आगाह देना,
और जब इसका मतलब पता चले तो आप मुझको भी बता देना.
Tuesday, 8 April 2008
शिकवा ऐ इंतज़ार....
Monday, 7 April 2008
मगर बिन दिए बिल जो इस बार लुढ़के
न तुम होश में हो न हम होश में हैं
चलो मयकदे में वहीं बात होगी
मगर बिन दिए बिल जो इस बार लुढ़के
वहीं पर सर-ए-आम मुका-लात होगी
-----शिव कुमार मिश्र
रस परिवर्तन
परिवर्तन देखिये ""
प्रेमी ने कहा ,देखो ये पुनम का चाँद हमसे क्या कह रहा है "
प्रेमिका ने कहा ,चल हट पगले तेरा नाक बह रहा है
Sunday, 6 April 2008
Saturday, 5 April 2008
सीख ले बेटा
उसके नीचे ही लिपस्टिक से किसी ने लिख दिया
'थक चुके हों गर गुनाहों से तो अन्दर आईये'
उसके नीचे ही लिपस्टिक से किसी ने लिख दिया
'गर अभी तक न थके हों तो मेरे घर आईये'
---पॉपुलर मेरठी
Friday, 4 April 2008
"कभी कभी मेरे दील मे खयाल आता है ""
दबा दु मै गला तेरा तु मुँह खुब चलाता है "
भंसाली, साँवरिया और...
भंसाली ने रणवीर से, साँवरिया में डाँस करवाया
नया नया छोरा था, तौलिया संभाल नही पाया।
Thursday, 3 April 2008
कुछ तो शरम कर
कुत्ता भी खाये रोटी तो होता वफ़ादार "
तुने दूध पिया उसका ,कुछ तो धरम रख "
माँ कि दवाई बंद कर पीता रहा शराब "
ऐ बदलते आदमी ,कुछ तो शरम रख "
Wednesday, 2 April 2008
जो पति पे तनी वो पत्नी "
दोनो मिल के बनाते दम्पत्ती’
दम है तब तक पति
दम नही तो काहे का पति "
Tuesday, 1 April 2008
उल्लू का पट्ठा दिल

कह रहा है ले चलो फ़िर कूचा-ए-कातिल मुझे,
जूतियां पड़वाएगा उल्लू का पट्ठा दिल मुझे .
खुदा जाना .....
बास मारे ये बंदा बास मारे
कोई पास में बैठ के मारे बास तो क्या होता है?
वही होता है जो मंजूरे खुदा होता है
खुदा करे कि जल्दी से लगें खम्बे वहाँ पे
एक अरसे से जहाँ पे खुदा होता है
मयकदे से निकले तो मुश्किल से पहचाने गए
आज फिर नासेह बलानोशों को समझाने गए औ;
मयकदे से निकले तो मुश्किल से पहचाने गए