Saturday, 15 March 2008

तुम तो दोस्त निकले यार !!

ये इनायतें हैं कैसी, भला क्यों ये मेहरबानी
दारू पिला रहे हो, मैं माँगता हूँ पानी

4 comments:

Ghost Buster said...

खुशफहमियां न पालो, करो यूं न हम से मस्ती,
दुर्लभ हुआ है पानी, दारू मिले है सस्ती.

रवीन्द्र प्रभात said...

बहुत ख़राब है यह शराब मेरे दोस्त -
क्यों मौत का सामान रखता है ?

Anita kumar said...

दोस्त तुम्हें नजरों का धोखा है
जिसे समझे हो मदिरा
पानी का प्याला है

Unknown said...

भाआआआआआई - क्यूं पानी मांगते हो भाई