अब अपन होली के हुरियारे होने लगे हैं होली के दस दिनन पेले से ही हमको होरी की मस्ती चड़बे लग जाए है सो हम जाने किसकी ये लाइनें पेल रहे हैं
थी ग़ज़ब की मुझमें फुर्ती ग़मे आशिक़ी के पहले
मैं घसीटता था ठेला तेरी दोस्ती के पहले
तेरी बाल्टी पकड़ने मैं खड़ा रहा था वरना
मेरा डोल भर चुका था तेरी बाल्टी के पहले
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गमे आशिकी के मारे हैं हजार तेरे जैसे,
किए हमने ये नज़ारे कई बार तेरे जैसे,
जरा दो घड़ी ठहर जा आते हैं मेरे भइया,
पहले भी हैं सुधारे बीमार तेरे जैसे.
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