Wednesday, 12 March 2008

कर गई घर मेरा खाली, मेरे सो जाने के बाद

पापुलर मेरठी साहब को सुनना हमेशा से एक बढ़िया अनुभव रहा है. लेकिन उन्हें पढ़ना? आप एक बार बढ़कर देखिये, क्या पता पढ़ना भी ठीक-ठाक अनुभव रहे....

कर गई घर मेरा खाली, मेरे सो जाने के बाद
मुझको धड़का था, कि कुछ होगा तेरे आने के बाद
मैंने दोनों बार थाने में लिखाई थी रपट
एक तेरे आने से पहले, एक तेरे जाने के बाद

या फिर;

रात को छम्मो के कोठे पर, पुलिस ने दी दबिश
मनचलों की भीड़ से, कैसा समां बनता गया
अपना कल्लन तो सयाना था, निकल भागा मगर
लोग साथ आते गए, और कारवाँ बनता गया

4 comments:

अमिताभ मीत said...

शिव जी भाई, मस्त है. निराला अनुभव है.

मुनीश ( munish ) said...

आहा जे हो ब्लॉग -नंदन ! मधुर शेर है!

इरफ़ान said...

पढने में भी अच्छा है. वाह.

Anonymous said...

bahut khub