Sunday, 30 March 2008

मेरे, तुम्हारे और हमारे

इरादा पुरा हैं आपसे मिल के बतियाने का
पर क्या करे ,किराया ज्यादा हैं आने जाने का""
खैर यही से कुछ पँक्तियाँ अर्ज करता हूँ ,इर्शाद फ़रमाये""

एक विधवा के तीन बच्चे ,सब अच्छे ’
एक विधुर के तीन बच्चे ,सब अच्छे ’
विधवा ने विधुर से शादी की’उनके हुये तीन बच्चे ’
इस प्रकार नौ बच्चे सब अच्छे"
एक दिन पत्नी ने पति को फ़ोन लगाया’
कहा प्राणनाथ आप जल्दी घर आइये
आप वहाँ कलम घसीट रहे हैं’
और यहाँ मेरे बच्चे और तुम्हारे बच्चे
मिलकर हमारे बच्चे को पीट रहे हैं ।

1 comment:

मुनीश ( munish ) said...

madhur kaavya hai, mile tumko gyanpeeth ye sahaj sambhaavya hai!!