Saturday, 22 March 2008

हाय तेरी ब्लॉग सी आँखें !


देखता हूँ जिधर बेवफा बस एक तुझको वहां पाता हूँ
एक ब्लॉग सा है तेरी आंखों में जिसमे खो सा जाता हूँ

6 comments:

इरफ़ान said...

भई आपकी भी ब्लॉगनोशी का जवाब नहीं.

सुनीता शानू said...

होली मुबारक ! :)

Unknown said...

इरफान भाई - ये तो फरमाईश को अंजाम दे रहे हैं !!! -
मुनीश जी इस अदा पर - इसी बात पर एक सस्ता गीदड़ पेश है
"अब देखिये, ग्राम-भ्रमण का माजरा मामला हुआ हुआ
उम्मीद है इधर भी आपका चश्मा धुंधला हुआ हुआ "
[ सखी भी ध्यान दें - होली के दिन ]

Admin said...

जरा संभल के...वैसे बात खूब कही है..थोडी भाँग हमें भी मिल जाती तो....

Admin said...

जरा संभल के...वैसे बात खूब कही है..थोडी भाँग हमें भी मिल जाती तो....

मुनीश ( munish ) said...

bhaang kya ek poori 'post' lo yaar. 'post' samjhe na?