Monday, 31 March 2008

हाथ हम मिलाये क्यो ??



" जब दील हि ना मिले तो हाथ हम मिलाये क्यो ""

दोस्ती दिखावे की बताओ हम निभाये क्यो ।

5 comments:

अमिताभ मीत said...

हाथ भाई इस लिए कि खींच सको वक़्त पर
दिल का इन दिनों अब मिलना न मिलना बराबर

मुनीश ( munish ) said...

dil ka bill in dino kaafi ziyada baith raha hai isliye.

VIMAL VERMA said...

इस पर एक शेर याद आ गया जिसे जनाब बशीर बद्र साहब ने लिखा है सीरियसता से लीजियेगा

कोई हाथ भी ना मिलाएगा,जो गले मिलोगे तपाक से
ये नये मिज़ाज का शहर है,ज़रा फ़ासले से मिला करो

दीपक said...

विमल वर्मा जी ,
बहूत अच्छी लाईन है, फिर भी सोचता हूँ..

लगाउ गले देकर तौफ़ा प्यार का ”
गर फ़ासला दिखे,दबा दु गला यार का "

Unknown said...

१० के फूल दीपक बाबू, ५३ की माला
इस टैम पे वाह, क्या शेर लिख डाला