Saturday, 15 March 2008

मंहगे शायर का सस्ता शेर

टेस्ट चेंज के बास्ते पेस है बाबा मीर तकी मीर का एक सस्ता वाला:

सुना है मैंने अय धतिए, तिरे खल्वत नशीनों से
के तू दारू पिए है रात को मिल कर कमीनों से

4 comments:

Anonymous said...

नाराज़गी किसी की जागीर नहीं, शायद इसलिए कहा गया होगा!

मुनीश ( munish ) said...

मैंने कई अमा नज़र भाई कोई चैनल खोलने की तय्यारी है क्या ? 'लोगो' बड़ा सही है यार!! और..... मज़ा आ रया है ब्लोगेष । ये चिर्कीन साहब का कोई दीवान वगैरह भी है क्या ??

Unknown said...

हि..क क् क् क्या क् कहा आ अ

विजयशंकर चतुर्वेदी said...

mere taalluk se ye sher kehne ki jurrat kaise kee aapane?!!!!!!!???