Wednesday, 5 March 2008

मुम्बई अंदर से सड़ेला है


राज ठाकरे वाले घटिया एपीसोड से पहले खामख्वाह हैदराबादी का शेर था-

ये मुम्बई शहर है हापूस का माफिक

बाहर से दिखे अच्छा, अन्दर से सड़ेला है।

और विजय सतनवी का शेर है-

हैजा की बात कर या एड्स की बात कर

मुम्बई में आजकल तो प्लेग पड़ेला है।

4 comments:

सायमा रहमान said...

अच्छा हुआ आपने हमारी आँखें खोल दीं वरना हम तो अगले महीने मुंबई के लिये सामान बाँध रहे थे.

Shiv Kumar Mishra said...
This comment has been removed by the author.
मुनीश ( munish ) said...

अजी आँखें खुली हों या हो बंद /
नाक ही बता देगी के वहां है गंद!

पहली दफे आई हैं यहाँ सायमा सो आपका इस्तकबाल !

Shiv Kumar Mishra said...

ये मुम्बई की वाट भी लोगों को क्या देकर गई
डूबी तो ख़ुद डूबी मगर हापुस को भी लेकर गई