राज ठाकरे वाले घटिया एपीसोड से पहले खामख्वाह हैदराबादी का शेर था-
ये मुम्बई शहर है हापूस का माफिक
बाहर से दिखे अच्छा, अन्दर से सड़ेला है।
और विजय सतनवी का शेर है-
हैजा की बात कर या एड्स की बात कर
मुम्बई में आजकल तो प्लेग पड़ेला है।
महंगाई के दौर में एक राहत की सांस
4 comments:
अच्छा हुआ आपने हमारी आँखें खोल दीं वरना हम तो अगले महीने मुंबई के लिये सामान बाँध रहे थे.
अजी आँखें खुली हों या हो बंद /
नाक ही बता देगी के वहां है गंद!
पहली दफे आई हैं यहाँ सायमा सो आपका इस्तकबाल !
ये मुम्बई की वाट भी लोगों को क्या देकर गई
डूबी तो ख़ुद डूबी मगर हापुस को भी लेकर गई
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