Sunday, 9 March 2008

अब्बा बना गई

टूटे हुए दिल को मुरब्बा बना गई , घर को मेरे कचरे का डब्बा बना गई /

शादी को अभी तीन महीने भी नही गुजरे , ना जाने किस हिसाब से अब्बा बना गई /

5 comments:

मुनीश ( munish ) said...

welcome back madhup ji !!

Anonymous said...

thanks munish bhai

अमिताभ मीत said...

वाह भाई वाह ! हिसाब तो समझ में नहीं आया लेकिन मज़े हूँ ....

इष्ट देव सांकृत्यायन said...

scince di tarakkii da zamaana e ji!

श्रेयार्चन said...

badhiya....