मुनीष भाई के 'दीवान' की पोल-
'दीवान' में खटमल है मगर दिख नहीं रहे,
भेजे में बहुत शेर हैं अपन लिख नहीं रहे.
-- विजय खटमलवी.
(गुरु, इतना ठीक है कि स्तर और गिराएं. कमर कस ली है कि सस्तई के अखाड़े की लाईट वेट कैटेगरी में गोल्ड मेडल हासिल करके ही दम लेना है. हैवी वेट कैटेगरी की कुश्ती इरफ़ान भाई के लिए आरक्षित है. जय बजरंगबली!)
Thursday, 13 March 2008
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1 comment:
अच्छा है,और थोड़ा गिराकर लिखेंगे,तब सस्ते के करीब आ जायेंगे...
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