Friday, 28 March 2008

तेरी याद

तेरी याद आज भी रह रह कर कुछ इस तरह आ जाती है
कि जैसे म्युनिसपलटी के बन्द पड़े नल से
कभी कभी पानी की बूँद अनायास टपक जाती है ।


अनूप भार्गव

2 comments:

Unknown said...

वाह वाह क्या पानी पिलाया है [:-)] वाह अनूप भाई - [ वैसे आज कल टैंकर आ रहा है [ :-)] , मुरीद मुनिसपल्टी पर नहीं रो रहे ]- सादर - मनीष

मुनीश ( munish ) said...

aji zulam hai zulam!!