Friday, 14 March 2008

वाह-वाह-वाह साहब वाह!

भाई शिव कुमार मिश्र से मिली दाद पर एक दिनाई आप सब को पेशे खिदमत है:
वाह-वाह-वाह साहब
लग गया कि आप भैरो बाबा की नगरी से बिलांग करते हैं.
जहाँ लोग हाथ नहीं धर पाते वहाँ आप टांग करते हैं.
बाकी हमारा क्या, हम तो ऐसहीं हैं
वही करते हैं जो सब उरांग उटांग करते हैं.

3 comments:

Shiv Kumar Mishra said...

भाई इष्ट देव जी,

भैरो बाबा तो हर नगरी में हैं
वही सागर में हैं, गगरी में हैं

जमीं पर टिके हुए पाँव हैं 'सर'... मैं टांग कैसे कर सकता हूँ? ...:-)

मुनीश ( munish ) said...

urang -utan? Discovery channel pe is naam ke vaanar par ek docoumentary dekhi thi saab!
svaagat hai hey Blog Bandhu!

अमिताभ मीत said...

हे इष्ट देव. प्रणाम - आप को और आप की टांग को.