Wednesday, 12 March 2008

उम्‍दा सस्‍तत्‍व को प्राप्‍त एक रचना



सस्‍ता शेर में मेरी पहली सस्‍तत्‍व को प्राप्‍त प्रस्‍तुति, थोड़ी बनाई, थोड़ी चुराई।

समय समय की बात है
बकरी मारे लात है
काउ खाती घास है
दुनिया बड़ी उदास है
मुझको इस दुनिया से
अब ना कोई आस है
फोड़ दूं मैं सिर उसका
जो बोले, पोयम मेरी बकवास है।

12 comments:

VIMAL VERMA said...

सस्ती रचना के लिये शुक्रिया,बकवास और सस्ते में ज़मीन आसमान का फ़र्क होता है.... है कि नही?अब तो इसे याद करके मंच पर सुनाने का मन है किसी ने भी बकवास कहा वहीं उसका सिर फ़ोड़ देंगे ठीक है ना...

मनीषा पांडे said...

भाई लोगन, का गजब कर रहे हैं। ब्‍लॉगवाणी पे दो ठो पसंद दिखा रहा है और यहां एक भी दाद नहीं। मतलब कि टीप नहीं। गुरुजन ऐसा गजब न करें। लोग कहेंगे, खुद ही पसंद टिपियाई होंगी। टिप्‍पणी तो एको है नहीं। पसंद में क्लिक किए हैं, तो दो लाइन भी लिख दें। और हां, कपार प्‍यारा हो तो पोयम को बकवास कतई न कहें।

इरफ़ान said...

Ha ha ha ha ha ha sayari kyaa bchchon kaa khel hai,
Maano yaa na maano tumhare sar mein tel hai

Ghost Buster said...

पोयेम बड़ी झकास है.

मनीषा पांडे said...

मेरे सिर में तेल है
ढक्‍कन छाप खेल है
पटरी पे चलती रेल है
उसमें धक्‍कम-पेल है
ऊपर से ठेलम-ठेल है
इनबॉक्‍स में मेल है

बस.... बहुत हो गया.... अब नहीं बन रहा.... लेकिन क्‍या इतना कम है, मेरी अद्भुत, अनूठी प्रतिभा की पहचान के लिए....

Shiv said...

किसकी जुर्रत है, कहे; 'पोयम ये बकवास'
वो भी तब, जब पोयम में काऊ खाए घास
काऊ खाए घास, सर भी फूटने का डर है
पढ़कर ऐसी पोयम, सबकी तबियत तर है

ghughutibasuti said...

शायरी हो तो ऐसी !
घुघूती बासूती

Yunus Khan said...

अईसा है कि हम सोच रहे हैं एक ठो कवि सम्‍मेलन यानी मुसायरा आयोजित कर डालें । जिसमें अईसे अईसे प्रतिभासाली सायरों और सायरिनों को बुला लिया जाए । मनीसा जी अब सुरू हो गयी हैं तो अईसी सायरी आगे भी करिएगा । हम वाह वाह कर रहे हैं यहां से ।

गुस्ताखी माफ said...

वाह, वाह, वाह

siddheshwar singh said...

इरफ़ान दद्दा ई का है !
ई तो बहुतै 'ससता ' है
और इसके जवाब में क्या आपकी वही 'हा हा हा 'है?
आप बोलोगे हां है
तो मुझे उज्र का है
अर्ज किया है-

'अशआर हैंगे बड्ड्डे बदिया ते सस्ते
मनीषा को आदाब सलाम ,नमस्ते!

रश्मि प्रभा... said...

mat mari gai kya meri
jo saste sher ko bakwaas kahun
padhke is sher ko
mann ki thakaan gai
waah!

दीपक said...

पोयम क्यो बकवास होगी ,जो लिखी है आपने”
शब्द नही हैं मेरे पास देने को दाद मे ""